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Sunday 25 March 2018

Two lines shayari

Two Lines shayari 

Ek Rasta Yeh Bhi Hai Manzilon Ko Paane Ka,
Seekh Lo Tum Bhi Hunar Haan Mein Haan Milane Ka.
एक रास्ता ये भी है मंजिलों को पाने का,
सीख लो तुम भी हुनर हाँ में हाँ मिलाने का।

Jab Tak Tha Dam Mein Dam Na Dabe Aasmaan Se Hum,
Jab Dam Nikal Gaya Toh Zameen Ne Dabaa Liya.
जब तक था दम में दम न दबे आसमाँ से हम,
जब दम निकल गया तो ज़मीं ने दबा लिया।

Iss Jahan Mein Kab Kisi Ka Dard Apnate Hain Log,
Rukh Hawa Ka Dekh Kar Aksar Badal Jate Hain Log.
इस जहान में कब किसी का दर्द अपनाते हैं लोग,
रुख हवा का देखकर अक्सर बदल जाते हैं लोग।


Bhare Baajaar Se Aksar Main Khali Haath Aata Hun,
Kabhi Khwahish Nahi Hoti Kabhi Paise Nahi Hote.
भरे बाजार से अक्सर मैं खाली हाथ आता हूँ,
कभी ख्वाहिश नहीं होती कभी पैसे नहीं होते।

Ghar Sajaane Ka Tasawwar Toh Bahut Baad Ka Hai,
Pehle Yeh Tay Ho Jaye Ke Iss Ghar Ko Bachayein Kaise.
घर सजाने का तस्सवुर तो बहुत बाद का है
पहले ये तय हो कि इस घर को बचायें कैसे।

Har Najar Mein Mumkin Nahin Hai BeGunaah Rahna,
Vaada Ye Karein Ke Khud Ki Najar Mein Bedaag Rahein.
हर नजर में मुमकिन नहीं है बेगुनाह रहना,
वादा ये करें कि खुद की नजर में बेदाग रहें।

Samandar Bebasi Apni Kisi Se Keh Nahi Sakta,
Hajaron Meel Tak Faila Hai Fir Bhi Beh Nahi Sakta Hai.
समंदर बेबसी अपनी किसी से कह नहीं सकता,
हजारों मील तक फैला है, फिर भी बह नहीं सकता।

Aayina Phaila Raha Hai KhudFarebi Ka Ye Marz,
Har Kisi Se Keh Raha Hai Aap Sa Koi Nai.
आईना फैला रहा है खुदफरेबी का ये मर्ज,
हर किसी से कह रहा है आप सा कोई नहीं।

Zinda Rahane Ki Ab Yeh Tarkeeb Nikaali Hai,
Zinda Hone Ki Khabar Sab Se Chhupa Li Hai.
ज़िंदा रहने की अब ये तरकीब निकाली है,
ज़िंदा होने की खबर सब से छुपा ली है।


Kya Kahiye Kis Tarah Se Jawani Gujar Gayi,
BadNaam Karne Aayi Thi BadNaam Kar Gayi.
क्या कहिये किस तरह से जवानी गुजर गई,
बदनाम करने आई थी बदनाम कर गई।

Iss Daur-e-Siyasat Ka Itna Sa Fasana Hai,
Basti Bhi Jalani Hai Maatam Bhi Manana Hai.
इस दौरे सियासत का इतना सा फ़साना है
बस्ती भी जलानी है मातम भी मनाना है।

Khud Ko Bhi Kabhi Mahsoos Kar Liya Karo,
Kuchh Raunakein Khud Se Bhi Hua Karti Hain.
खुद को भी कभी महसूस कर लिया करो,
कुछ रौनकें खुद से भी हुआ करती हैं।

रुकावटें तो सिर्फ ज़िंदा इंसान के लिए हैं
मय्यत के लिए तो सब रास्ता छोड देते हैं

चले जायेंगे एक दिन तुझे तेरे हाल पर छोड़कर
कदर क्या होती हैं प्यार की तुझे वक़्त ही सीखा देगा

 दामन फैलाये बैठे हैं, अलफ़ाज़-ए-दुआ कुछ याद नही,
माँगू तो अब क्या माँगू, जब तेरे सिवा कुछ याद नही..!

सुना है हमने तुम्हारी एक निगाह से कत्ल होते हैं लोग..
एक नज़र हमको भी देख लो जानू.. ज़िन्दगी अच्छी नहीं लगती !!

तन्हाई के लम्हे अब तेरी यादों का पता पूछते हैं…
तुझे भूलने की बात करूँ तो… ये तेरी खता पूछते हैं…!!

सुनो!! दिल धड़कने लगता है ख़यालों से ही,
ना जाने क्या हाल होगा मुलाक़ातों में.

फ़रिश्ते ही होंगे जिनका हुआ “इश्क” मुकम्मल,
इंसानों को तो हमने सिर्फ बर्बाद होते देखा है….!!

जब #ज़िंदगी सुकून से महरूम हो गई
उन की निगाह और भी #मासूम हो गई

तेरी जगह आज भी कोई नहीं ले सकता ,
पता नहीं वजह
तेरी खूबी है या मेरी कमी..!!

भूख तो एक रोटी से भी मिट जाती माँ,
अगर थाली की वो एक रोटी तेरे हाथ की होती

किताबों में रखे उन सूखे गुलाबों को मुबारक
जिनकी महक आज भी साँसों को महका देती हैं

बहुत शराब,चढाता हुँ रोज,
तब जाकर तुम, कहीं उतरती हो..

एक ख़ाब ने आंखों खोली है क्या मोड़ आया कहानी मै |
वो भीग रही है बारिश मै और आग लगी है पानी मै ||

माना की दूरियाँ कुछ बढ़ सी गयीं हैं,
लेकिन तेरे हिस्से का वक़्त आज भी तन्हा गुजरता है!

Chod de ab usse wafa ki umeed,
Jo rula sakta hai wo bhula bhi sakta hai…

Kitni Ajeeb Hai Is Shehar Ki Tanhai Bhi,
Hazaron Log Hain, Par Tum Jeisa Ek Bhi Nahin.

गमो की भरपाई अब सस्ती हो गई है
अच्छे दोस्त से जो दोस्ती हो गई है

शर्मिंदा करते हो रोज, हाल हमारा पूँछ कर ,
हाल हमारा वही है जो तुमने बना रखा है…

बग़ैर जिसके एक पल भी गुज़ारा नहीं होता
सितम देखिये वही शख़्स हमारा नहीं होता…

मजबूरिया के नाम पर दामन बचा गए,
वह लोग जिनके इश्क में दावा वफ़ा का था…

Use ko to bichadne ka tarika bhi nahi aata,
Jate jate khud ko mere dil me hi chod gaya…

अज़ीज़ इतना ही रक्खो कि जी सँभल जाए
अब इस क़दर भी न चाहो कि दम निकल जाए

चलो माना तुम्हारी आदत हैं तडपाना,
मगर जरा सोचो अगर कोई मर गया तो…

शायरी उसी के लबों पर सजती है…
साहिब जिसकी आँखों में इश्क है !!

बात कोई और होती तो हम कह भी देते
कम्बखत मोहब्बत हे…बताया भी नहीं जाता…

लाख समझाया उसको की दुनिया शक करती है..
मगर उसकी आदत नहीं गयी मुस्कुरा कर गुजरने की

जब महसूस हो कि सारा शहर तुमसे जलने लगा है…
समझ लेना तुम्हारा नाम चलने लगा है.!!!



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